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 भक्त शिरोमणि श्री दादाजी अखारामजी महाराज परसनेऊ गांव के पास ही नाडिया (तालाब) के समीप कैर व कमुठोँ के पास श्री बालाजी महाराज की धुणी रमाते एवं गायेँ चरातेँ थे ।श्रीदादोजी महाराज को गाँव के नागरिक गुंगीया (भोला) कहकर पुकारते थे । श्री रामभक्त श्री हनुमान जी महाराज ने श्री दादाजी महाराज की भक्ति से प्रसन्न होकर वहीँ पर उन्हेँ प्रथम दर्शन दिये । वरदान स्वरुप श्री दादाजी महाराज को वचन सिद्धि प्रदान की । सर्प आदि के जहर व भुतप्रेत आदि के प्रभाव से मुक्ति के लिये भभूति व कलवाणी रुपी औषध का वरदान दिया जिससे आज भी वहां भक्तोँ के दुःख क्षणभर मेँ कट जाते हैँ । कुछ ही समय पश्चात दङिबा गांव की काँकङ मेँ एक कुम्हार के खेत मेँ श्री बालाजी महाराज की मुर्ति निकली । कुम्हार को आकाशवाणी के द्वारा बताया गया की ‘ इस मुर्त को तुम बैलगाङी मेँ ले चलो जहाँ गाङी रुकेगी वही पर इस मुर्ति की स्थापना होगी ‘ वह बैलगाङी सिद्धपीठ धाम परसनेऊ मेँ आकर रुकी । वह मुर्ति आज भी स्थित हैँ । इधर भक्त शिरोमणी श्री दादाजी महाराज ने काफी समय श्री हनुमान भक्ति व जनसेवा करने के पश्चात समाधि लेने का निश्चय किया व कार्तिक बदी पंचमी के दिन श्री बालाजी महाराज की आज्ञा लेकर उन्ही की उपस्थिति मेँ प्रभुनाम स्मरण करते हुए ईश्वर मेँ लीन हो गये ।परसनेऊ धाम मेँ उनके समाधि स्थल पर एक गुमटी बना दी गई जो आज एक विशाल मन्दिर का रुप धारण कर चुकी हैँ । श्री दादाजी महाराज का चीमटा और खङाऊँ आज भी दर्शनार्थ मन्दिर मेँ रखे हुये हैँ । 

श्री दादा चालीसा

दो :- अक्षय तेरा कोष है, अक्षय तेरा नाम। अक्षय पलकें खोल दे, अक्षय दे वरदान॥ चौ :- जय अक्षय हरजी सुत देवा। शीश नवायें, करते सेवा ॥ जय मारुति सेवक सुखदायक। जय जय जय अंजनि सुत पायक॥ जय जय संत शिरोमणि दाता। जय जीवू बाई के भ्राता ॥जय हरजी सुत कीरति पावन।

Gandhari Ka Shrap

दोस्तों आइये देखते है अफगानिस्तान का इंडिया कनेक्शन ( Afganistan connection with India ) . महाभारत काल में गांधारी का श्राप (Gandhari Ka Shrap ) आज के अफगानिस्तान की दुर्दशा का कारण बताया जाता है और इतिहास इस बात को साबित भी करता है ।

उर्मिला की कथा

आज हम जानेंगे लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला की कथा । रामायण के मुख्य किरदारों का जब भी जिक्र होता है तब दिमाग में जो नाम आते है वो है मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम , भरत ,लक्ष्मण, माता सीता आदि । हमने लक्षण की भगवान् के प्रति सेवा को देखा, हमने हनुमान के भक्तिभाव को देखा |