जय श्री बालाजी की || जय श्री दादाजी की || जय माताजी की
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आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मै आपको एक ऐसी धाम के बारे मे अवगत कराने जा रहा हुँ जहाँ पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना श्री अखारामजी दादोजी की कृपा से पुर्ण होती है ।काफी वर्ष पहले परसनेऊ गांव मेँ श्री अखारामजी महाराज का जन्म पलोङ परिवार दाधीच वंश मेँ पिता श्री हरजी राम जी एवं माताश्री सुखी बाई के घर मेँ भादवा बदी पंचमी के शुभ दिन हुआ । बाल्यकाल मेँ ही वे हनुमानजी महाराज की सेवा करने लगे । उसी समय मे श्री मोहनदासजी महाराज (सालासर) , श्री राघवदासजी महाराज (मीरण) , श्री केशवदासजी महाराज (सारङी) आदि महान सन्त हुये व श्री हनुमानजी महाराज की भक्ति करके जनहित मेँ वरदान व सिद्धियां प्राप्त की ।
दादा चालीसा का पाठ हजारों लोग अपनी दिनचर्या में करते है । दादाजी अखाराम जी महाराज हनुमान जी के परम भक्त थे । आइये दादाजी अखाराम जी महाराज के जीवन को संक्षेप में जानते है । वीरों और देवताओं की धरती राजस्थान के वर्तमान चूरू जिले की रतनगढ़ तहसील के अंतर्गत परसनेऊ नामक एक छोटा सा गांव है । सम्वत १५५० में इसी परसनेऊ गांव के दाधीच ब्राम्हण श्री हरजीराम जी के घर में दादाजी अखाराम जी महाराज ने जन्म लिया ।व३ अपने बचपन से ही बालाजी महाराज के परम भक्त रहे, विद्याध्ययन में भी उनका मन नहीं लगता था । गायें चराते और भजन गाते, इसी दिनचर्या में उनका बचपन गुजरा । अपने अखंड भक्तिभाव के कारण श्री हनुमान जी महाराज के दर्शन व लोकसेवार्थ कई प्रकार की सिद्धियां प्राप की । उनके चिमटे के स्पर्श करने से और उनकी धुनि की भभूति मिलाने से जो कलवानी बनती है वो अमृत के सामान होती है ।जहरीले विष से लेकर कई तरह की बीमारियां उनकी कलवाणी और भभूति से समाप्त होती है । परसनेऊ में श्री दादाजी अखाराम जी महाराज व श्री बालाजी महाराज का भव्य मंदिर है जहाँ साल भर भक्तों का ताँता लगा रहता है । भादवा कृष्णा पंचमी को दादा जयंती पर यहाँ पर भव्य मेला आयोजित होता है । आइये दादा चालीसा का पाठ करके अपने जीवन को धन्य करते है ।